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Message from Principal

Dr. Pankaj Kumar Chaturvedi
Principal

छोटानागपुर विधि महाविद्यालय की स्थापना सन् 1954 में बैरिस्टर एस.के. सहाय के द्वारा उन काल एवं परिस्थितियों में हुई जब कि देश शीध्र ही स्वतंत्रता प्राप्त किये हुये था, और देश के समक्ष गरीबी, अशिक्षा एवं बेकारी की स्थिति भयावह थी। वैसे सम्पूर्ण भारत वर्ष में ही विधि शिक्षण संस्थाओं का अभाव महसूस किया जा रहा था, विशेषकर इस आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में तो ऐसे संस्थाओं का सर्वथा अभाव था। ऐसे में बैरिस्टर एस.के. सहाय की दूरदृष्टि एवं यहाँ की जनता के सार्थक प्रयास से इस पुनित संस्था का अभ्युदय संभव हो सका। आरम्भिक समय में यह संस्था बिहार विश्वविद्यालय, मुजफरपुर से संबद्व रहा लेकिन ज्योंहि राँची विश्वविद्यालय की स्थापना हुई यह संस्था राँची विश्वविद्यालय का संबद्व इकाई बना। सन् 1982 में मैं इस संस्था से जुड़ा। मुझे स्मरण है कि महाविद्यालय इस लम्बी यात्रा में अनेक कीर्तिमान जनमानस के समक्ष स्थापित किये। देश के सर्वोच्च न्यायालय में एवं कई उच्च न्यायालयों में यहाँ के भुतपूर्व छात्र अपने फैसलों के माध्यम से राष्ट्र को नये तरीके से मार्गदर्शित कर रहें हैं। विगत् कालों में संस्था को अनेक झंझवातों को भी झेलना पड़ा है, इसके बावजूद भी राष्ट्र एवं राज्य के स्तर पर एक प्रतिष्ठित विधि महाविद्यालय के रूप यह अपने अस्मिता को बनाये हुए हैं। प्रतिवर्ष यहाँ के छात्र मूटकोर्ट प्रतियोगिता, युवा संसद इत्यादि प्रतियोगिता में भी राष्ट्रीय स्तर पर अपने अमिट पहचान बनाते हैं। मैं संस्था के प्रबंध समिति, शिक्षकों, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं को हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ कि इसके सतत् विकास के निमित् ये तन-मन से प्रयत्नशील हैं। वर्तमान एवं भावी छात्र-छात्राओं के प्रति संदेश है कि -

विधि सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है, इसके बिना
समाज को बदलना असंभव है । अतः विधि
के विद्यार्थी को अपने दायित्व एवं कर्तव्यों का निर्वाह
निष्ठापूर्वक करना चाहिए, क्योंकि इन्ही के पैरो के
छालों से इतिहास लिखा जाएगा